शनिवार, 3 मई 2008

हटेले कू काइकू बजाया

सर्किट के मुंह के टेप में कभी कभी जब प्ले का बटन ऑन हो जाता है तो आई शप्पथ, दुनिया का कोई भी मिकैनिक उसकू स्टॉप नहीं कर सकता। आज मालूम नहीं किसने उसकी भैंस कू डंडा मारा है। अइसी सड़ेली गालियां दे रयेला था कि सुनके अपुन के कान में खुजली होने लगी। बोला- येड़े, हलकट, चंपक, चिरकुट, तेरे पिछवाड़े में खाज का रोग लग जाए और उसके बाद तेरे दोनों हाथ छोटे हो जाएं, ताकि तू अपने पिछवाड़े में चैन से खुजला भी ना सके।

हाइला, वइसे खाज के इस आइडिये की दाद देनी पड़ेगी। अइसी गंदी गाली सर्किट के इच भेजे में पक सकती है। गालियां तो अपुन भी देता है, पन अइसी गाली सुनके दुश्मन की कनपटी पे घोड़ा दबाने की जरूरत नहीं पड़ेंगी। इसकू सुनते इच किसी की भी वाट लग जाए। पन सर्किट, तू किसकी लाइफ बरबाद कर रयेला है, इत्ती गंदी गाली देकू।

मुन्ना भाई अपुन तो उस लक्की लुक्खे कू गालियां ठोंक रयेला है। उसने अक्खे गैंग की यूनिटी की वाट लगा दी है। अपुन सोच रयेला है कि इन लोग का आज से क्रिकेट मैच देखना बंद करवाएगा। बोले तो कल अक्खा गैंग जब शाम कू हफ्ता वसूल करके नोट गिन रयेला था तो उसने मालूम नहीं काइकू हन्नी हटेले के गाल पे एक झापड़ पिन्हा दिया। अपुन ने पूछा- क्या रे, काइकू खाली पीली भंकस करता है। यार दोस्त में हल्की फुल्की मारपीट तो चलती है। तू काइकू अपने ब्लड प्रेशर की सीटी बजा रयेला है। और अपुन कू ये बता कि इस सारे लफड़े में क्रिकेट मैच किदर से टपक गयेला है!

सर्किट बोला- मुन्ना भाई, दिन भर धंधा करके ये लुक्खे आजकल शाम के टाइम पे आईपीएल के मैच देख रयेले हैं। अपुन ने सोचा कि टाइमपास कर रयेले हैं। पन अपुन कू क्या मालूम था कि मैच देख के ये और भी बिगड़ जाएंगे। बोले तो उस दिन मैच के बाद हरभजन ने श्रीशांत कू ग्राउंड पे जो जम के पिन्हाया है गाल पे, उसकू देख के लक्की लुक्खे का भेजा घूमा। अपुन ने जब पूछा कि हटेले कू काइकू बजाया तो बोला कि जब इत्ता बड़ा क्रिकेटर अपनी टीम के मेंबर कू अक्खा वर्ल्ड के सामने बजा सकता है, तो अपुन काइकू नहीं। बोले तो ये हटेला भज्जी का फैन है और उसपे लगे बैन की बात सुनके रो रयेला था, इसका वास्ते अपुन ने उसकू घुमा के दिया।

अपुन ने बोला कि अइसे आपस में लड़के काइकू गैंग की वाट लगा रयेले हो? वो बोला कि जब भज्जी टीम इंडिया की यूनिटी की वाट लगा सकता है, अपने देश कू अक्खा वर्ल्ड में बदनाम करने का सुपारी ले सकता है तो फिर अपुन कौन सा बड़ा क्राइम कर रयेला है। वइसे भी दूसरों की इज्जत का फालूदा करने में भज्जी एक्सपर्ट है। पहले ऑस्टेलिया में साइमंड्स की भजिया तल कू आया। देश की इज्जत के वास्ते सबने उसकू बचा लिया पन टॉमी की पूंछ कभी सीधी नहीं होती। अब इधर अपनी टीम के मेंबर से बदतमीजी करके देश की नाक कटा दी ना।

सर्किट की ये स्टोरी सुनके अपुन ने उसकू बोला कि एक बदतमीज क्रिकेटर की वजह से काइकू अक्खा देश की नाक कटा रयेला है। वइसे भी जिसने लाफा खाया और जिसने खिलाया, वो दोनों इच इंटरनैशनल क्रिकेट खेलते वक्त अक्खा वर्ल्ड के प्लेयर के आगे बदतमीजी करते हैं। अपुन कू तो किसी से भी हमदर्दी नहीं है। मालूम नहीं खेल कू खेल की तरह खेलना इनकू कब आएगा।

नमिता जोशी

गुरुवार, 10 अप्रैल 2008

फर्स्ट टाइम अपुन बाप बनेला है

भोत दिन के बाद अपुन की खोली में कोई गुड न्यूज सुनने कू मिली है। सर्किट बाप बन गयेला है। बोले तो उसकी फैमिली में एक और टपोरी बढ़ गयेला है।

वइसे शादी तो उसने पांच साल पहले इच बना ली थी , पन इस जालिम वर्ल्ड में जूनियर सर्किट की एंट्री के बारे में सोचके भोत डरता था। कइसे पालेंगा , क्या खिलाएंगा और सबसे बड़ी टेंशन ये कि बड़ा होके उसकू क्या बनाएंगा। ये सब सोच सोच के वो अपना सर्किट तो फ्यूज करता इच था , अपुन के दिमाग का भी दही कर देता था। अपुन तो ये सोच के डरता था कि अभी बाप नहीं बनेला है तो इत्ता टेंशन है ,, जब बाप बन जाएंगा , तो क्या करेंगा।

अचानक सर्किट की लाइफ में टर्निंग पॉइंट आया। उसके साथ के सब टपोरी लोग एक के बाद एक बाप बनने लगे। आज किसी की खोली से लड्डू आ रयेला है , तो कल किसी के घर में हिजड़े बच्चा होने की खुशी में नागिन डांस कर रयेले हैं। ये सब देख देख के सर्किट के अंदर का बाप जागा और उसने फटाफट गुड न्यूज सुना डाला। बोले तो उसकी एक्साइटमेंट का एक टाइम अइसा भी था कि वो मिसेज सर्किट से तीसरे-चौथे महीने से इच पूछने लगा कि बच्चा कब होएंगा। रोज डेली ये सवाल सुनके बेचारी के सिर में हेडेक हो जाता था।

जब बच्चा हो गया तो चार पांच दिन के बाद इच सर्किट के भेजे की साइकल का टायर पंचर हो गया। मिसेज सर्किट के आगे एक और सवाल-ये बड़ा कब होएंगा। वइसे गॉड का करम है कि अभी तलक सर्किट भोत हैपी है। अक्खा बस्ती में मिठाई बंट रयेली है। और जब से हिजड़े ने उसके बच्चे कू रितिक रोशन जइसा बोला है न , तब से सर्किट क्रे जी हो गयेला है। बच्चे के करियर की टेंशन जो दूर हो गयेली है।


अपुन का अक्खा गैंग भोत खुश है इस नए मेंबर के आने से। कल शाम कू धंधे के बाद अपुन लोग खोली पे बैठ के जशन मना रयेले थे कि अचानक पक्या ने सबकू सेंटी कर दिया। बोला , मुन्ना भाई अभी तलक सर्किट कू बच्चा पैदा करना मुश्किल लग रयेला था पन मुश्किल काम तो अब शुरू हुआ है। अपुन कू भाभी के बारे में सोच सोच के टेंशन हो रयेली है। उसके इत्ते सारे सवाल के जवाब भाभी कू ढूंढने हैं। ये बच्चा बोलना कब सीखेगा , चलना कब सीखेंगा , दांत कब आएंगे , स्कूल में एडमिशन का टेंशन , उसके बाद एग्जाम में अच्छे नंबर का लोचा। फिर कॉलेज में एडमिशन का चक्कर , फिर नौकरी कब लगेगी। अच्छी नौकरी मिलेगी कि नहीं , सैलरी भी अच्छी होनी चाहिए। तभीच अज्जू कड़वा बोला - सर्किट की ये टेंशन सिर्फ उसके बेटे की शादी तक इच होगी। अच्छी लड़की कइसे मिलेंगी ? बेटे के बारे में मिसेज सर्किट से उसका ये लास्ट सवाल होगा। एक बार मैरिज हो जाएगी तो बहू के चक्कर में आके मां-बाप कू अइसा ठेंगा दिखाएंगा कि अक्खा टेंशन खल्लास।

कड़वे के मुंह से करेले से भी कड़वी बात सुनके सर्किट ने उसकू दो हाथ पिन्हाए और बोला कि फर्स्ट टाइम अपुन बाप बनेला है , इसका वास्ते टेंशन होती है। फ्यूचर में क्या लिखेला है तू अभी से इच काइकू भविष्यवाणी कर रयेला है ? सर्किट ने उसकू खुन्नस तो दिखा दी पन बाद में अपुन ने भी फील किया कि कड़वे के थोबड़े से कड़वा सच सुनके सर्किट संभल गया और उसके बाद से भाभी से कोई भी सवाल नहीं किया।

नमिता जोशी

शुक्रवार, 4 अप्रैल 2008

सबसे चकाचक चश्मा

वो पूछा- आपकी तारीफ! अपुन बोला, ये तारीफ का टाइम नहीं है। जास्ती भंकस नहीं करने का क्या! चुपचाप हफ्ता ढीला कर, वरना तेरे जबड़े से दो दांत ढीले कर देगा।

हाइला! अपुन की हूल सुनके भी वो कूल है। बोला-भाई, सुबह से एक भी कस्टमर नहीं आया है। चाहो तो अपुन की दुकान का ये सबसे चकाचक चश्मा तुम रख लो। अगले हफ्ते आकर डबल हफ्ता ले जाना और ये चश्मा इदर फेंक जाना। अपुन ने वो चश्मा ले इच लिया और उदर इच उसका उद्घाटन कर दिया।

शाम कू खोली पे लौटा, तो जैसे बैकग्राउंड से आवाज आई। वहां हकला हज्जाम अपने जूते जइसे मुंह कू फाड़ के चवन्नी छाप स्माइल दे रयेला था। अभी तो इसने अपने मोजे जइसी जीभ बाहर भी नहीं निकाली, तो फिर ये उसकी आवाज निकाल के अपुन कू कौन गाली दे रयेला है! फिर वोइच आवाज आई- आ गया साला मुन्ना। काला चश्मा लगाके खुद को हीरो समझ रयेला है, पन दिखता पूरा बंदर है। आज जब तलक ये खोली का भाड़ा नहीं चुका देता, अपुन इसकी खाट से खटमल के माफिक चिपक कर बइठा रहेगा। हाइला! ये कौन बोला? ये सवाल सुनके हकला एकदम डर गया। बोला - अरे आओ आओ मुन्ना भाई। तुम्हारी उमर भोत लंबी है। अभी अपुन तुमकू इच याद कर रयेला था। याद कर रयेला था! दिल में अपुन के वास्ते इत्ता जहर भरके बैठेला है और सामने से अपुन कू मस्का लगा रयेला है। पन उसके मन की बात अपुन कू कइसे सुनाई दी।

अइसा तो खाली एकता कपूर के टीवी सीरियल में होता है। सारे कैरेक्टर आपस में मुंह से बात कम करते हैं और मन में जास्ती। अइसे इच पूरा आंधा घंटा निकल जाता है और सीरियल खल्लास। पन अपुन की लाइफ का सीरियल तो अब चालू हुआ था।

अचानक अज्जू कड़वे ने भी खोली में अवतार लिया। अपुन कुछ पूछता, उससे पहले इच उसकी साउंड भेजे में घुसी। बोल रयेला था - साले मुन्ना, कब तलक अपुन लोग की छाती में मूंग दलेगा। इत्ती गर्मी में वसूली करने के वास्ते अपुन कू भेजता है और शाम कू अक्खे गैंग के खून पसीने की कमाई अपनी पॉकेट में। आज तू देख, अक्खे गैंग के साथ मिलके तेरे कू ठिकाने लगाने का सॉलिड प्लान बनाता है। बस सर्किट आ जाए। सर्किट किदर से आ जाए? अपुन ने अज्जू कड़वे से पूछा तो वो डर के बोला- अरे भाई, अपुन कू क्या मालूम सर्किट के बारे में।

अपुन ने फिर उसकू हड़का के पूछा- काइकू! अभी तो तू लिया उसका नाम। वो बोला- भाई तुम्हारे दिमाग में केमिकल लोचा हो गयेला है क्या? अपुन ने तो अभी एक वर्ड तक नहीं बोला। उसकी बात सुनके अपुन ने गुस्से में चश्मा उतार के फेंका तो फिर से झटका लगा। ये क्या! चश्मा पहनके अपुन कू दूसरे के मन की बात मालूम चल रयेली है। गॉड ने अपुन के साथ कइसा जोक कियेला है। दूसरे के मन की बात जानने की तमन्ना तो अपुन कू पहले से इच थी। पन ये अहसास नहीं था कि जो लोग अपुन के सामने अपुन की बीन बजाते हैं वो अपुन के पीछू अपुन की कबर खोदने का प्लान भी बनाते रहते है! तभीच सर्किट याद आया।

अपुन ने सोचा कि चश्मा पहनके सर्किट के दिल का हाल भी जान इच लेगा पन फिर चश्मा कचरे की पेटी में डाल दिया। बोले तो सर्किट अपुन की जान है। अगर उसके मन की अइसी वइसी बात अपुन के भेजे में सूई के माफिक चुभ गई तो आगे की लाइफ भोत टफ हो जाएगीं। अपुन के बारे में जिसकू जो सोचना है सोच ले, सामने तो वो अपुन की इज्जत करता इच है। अपुन उसके झूठ के सहारे इच अक्खा लाइफ काट लेगा।


नमिता जोशी

शनिवार, 29 मार्च 2008

थैंक गॉड अपुन मुन्ना भाई है, धोनी नहीं

सर्किट आजकल रोज बिना छिलके के केले के माफिक चिकना बनके तैयार हो रयेला है। अपुन ने पूछा तो बोला कि मुन्ना भाई तुमकू मालूम होना मांगता है कि अपुन किसी भी दिन या तो टीम इंडिया में सिलेक्ट होने वाला है या फिर दिल्ली कू सलाम करके बॉलिवुड का रास्ता पकड़ने वाला है। हाइला! वो कइसे! तेरा कोई सगेवाला बीसीसीआई सिलेक्टर या किसी फिल्मी प्रोडयूसर के घर नौकर लग गयेला है क्या, जो तू इत्ते बड़े-बड़े सपने देख रयेला है?

सर्किट बोला - मुन्ना भाई, अपुन ने टीवी में ऐड देखेला है - चला चेंज का चक्कर! अगर अपुन का इनाम आ गया ना, तो एक दिन के लिए अपुन टीम इंडिया का प्लेयर बन जाएंगा और वो प्लेयर तुम्हारे असिस्टेंट यानी सर्किट का रोल करेंगा। सर्किट की बात अपुन के भेजे के घड़े में दही के माफिक जम गई। खोली पे पहुंचा तो अपुन के छोटे से भेजे ने उस दही की लस्सी बनानी स्टार्ट कर दी। हाइला ये क्या! ये तो अपुन की निकल पड़ी! एक दिन के वास्ते अपुन बन गया धोनी। चलो, एक दिन के वास्ते
इच सही, अपुन की बारिश में सीली हुई तीली के माफिक लाइफ में ये टीवी ऐड ने कुछ तो जान डाली।

सर्किट के माफिक अपुन भी चकाचक चिकना बनके तैयार हुआ। इदर अपुन पहुंचा टीम इंडिया के ड्रेसिंग रूम और धोनी पहुंचा अपुन की खोली। एक दिन का राजा बनने की शान ही कुछ और होगी। धोनी का अक्खा माल अपुन का, विदेशी मोटरसाइकल पे अक्खा दिन सैर कर करके उसके टायर घिस डालेंगा अपुन। कोई टीवी चैनल वाला भी देश की सारी प्रॉब्लम्स भूल के अपुन कू जरूर अपने स्टूडियो में बइठाएगा और अक्खा दिन डिस्कशन करेंगा। और हां, ये भी तो हो सकता है कि आईपीएल वाले धोनी की नीलामी वाली रकम का चेक उस दिन अपुन कू पकड़ा दे। वाह! क्या लाइफ है धोनी की। वापस लौट के अपुन कब गैंग लीडर से बस्ती का हीरो बन जाएगा, पता इच नहीं चलेंगा।

खैर, ड्रेसिंग रूम पहुंचते इच मालूम चला कि अपुन का मैच पाकिस्तान की टीम से है और ओपनिंग करने के वास्ते कोच धोनी कू भेजना चाहते हैं। नहीं, अपुन नहीं जाएगा ओपनिंग करने। बड़े-बड़े सीनियर प्लेयर्स ने क्या चूडि़यां पहन के रखी हैं जो अपुन कू रावलपिंडी एक्सप्रेस का शिकार बनाने के वास्ते आगे कर रयेले हो। अपुन के सवाल के जवाब में मैनेजर बोला - अरे धोनी जी आपने ही तो टीम के सारे सीनियर मेंबर्स कू घर भेजके नए चिकने छोकरे टीम में रखवाए हैं। अब तो टीम में सबसे सीनियर होने के नाते आपको इच मैदान में जाके दुश्मन का मुकाबला करना पड़ेंगा।

पहली बॉल में बोल्ड होके ड्रेसिंग रूम में लौटा तो एक टीवी चैनल से फोन आया। चलो गेम नहीं खेल पाया तो क्या हुआ, टीवी पे आके रातोंरात स्टार तो बन इच जाएगा ये मुन्ना भाई। ये सोच के फोन उठाया तो पता चला कि धोनी बनना इत्ता आसान नहीं। उसकी सारी पनौतियां अपुन के सिर पे इच पड़ने वाली हैं, ये अपुन कू बिल्कुल भी नहीं मालूम था। चैनल वाले अपुन से मंदिर में बकरे की बलि के बारे में सवाल करने लगे। धोनी के किए की सजा के बारे में अपुन से डिस्कस करने लगे। समाज, जिम्मेदारी, कर्तव्य टाइप के पहाड़ जइसे शब्दों ने अपुन का भेजा घुमा दिया।

फर्स्ट टाइम लगा कि सिलेब्रिटी बनना इत्ता आसान नहीं है, जित्ता अपुन सोचते हैं। एक बात तो अपुन के भेजे में नहीं घुसी की पढ़ लिख के भी लोग अइसे अंधविश्वास में कइसे पड़ जाते हैं। और जान आफत में आ गई अपुन की। तभीच अपुन का मोबाइल बजा। दूसरे चैनल का एंकर भी अपुन से वोइच पूछ रयेला था - धोनी ये तूने क्या किया! धोनी तूने क्या किया! सवाल का जवाब ढूंढते ढूंढते अपुन का अक्खा बॉडी से अइसे पसीना टपक रयेला था, जइसे बरसात में अपुन की खोली टपकती है। पसीना पोंछने के वास्ते हाथ ऊपर किया तो नींद टूट गई और और क्या देखता है! खोली सच्ची मुच्ची में टपक रयेली थी और अपुन खोली की खटिया पे चादर के माफिक फैल के सो रयेला था। थैंक गॉड अपुन मुन्ना भाई है, धोनी नहीं।

नमिता जोशी

शुक्रवार, 21 मार्च 2008

टेंशन देने का, लेने का नहीं

तूने दिल का हाल बताना छोड़ दिया, अपुन ने भी गहराई में जाना छोड़ दिया, अभी तो होली में एक दिन बाकी है, ऐ सर्किट तूने अभी से इच नहाना छोड़ दिया!


होली अपुन का फेवरेट फेस्टिवल है। बोले तो भांग पीने का लाइसेंस तो मिलता इच है फोकट में, पन अंदर की बात तो ये है कि ठंडे पानी से नहाने की स्टार्टिंग अपुन इसी दिन से करता है। कोई सनकी खोपड़ी ठंडे पानी की बाल्टी अपुन पे डाल देता है तो सर्दी का मेनिया फुर्र हो जाता है। पन मालूम नहीं ये सर्किट सिरफिरे कू क्या हो गयेला है। कुछ दिन पहले आफत का भूत इसके भेजे की खोली में किराएदार बनके आएला है। तब से पढ़ने लिखने के बारे में सीरियस हो गया। बोला इस बार दसवीं पास करके इच छोड़ेंगा। अपुन ने भोत मना किया। ये पढ़ाई लिखाई ब्रेड में मस्का लगाने या घोड़ा दबाने के माफिक ईजी नहीं है। गॉड ने तेरेकू टेंशन देने के वास्ते पैदा किएला है, टेंशन लेने के वास्ते नहीं। इसलिए किडनी पे जास्ती जोर नहीं डालने का।


पन सर्किट सिरफिरे ने एक बार जो फैसला कर लिया, तो समझो गॉड भी आके उसका फ्यूज नहीं उड़ा सकता। अपुन ने भी सोचा, चलो लाइफ में फर्स्ट टाइम कुछ अच्छा करने का आइडिया आयेला है, तो बीच में टांग नहीं अड़ाता। एग्जाम टाइम में वइसे मेहनत भी भोत किया सर्किट। इत्ता मेहनत तो इसने गैंग के वास्ते शिकार ढूंढने में कभी नहीं किया। पन ये क्या! तीन दिन पहले जो एग्जाम देकर आया, उसके बाद से खोली में लॉक हो गयेला है। न खाना पीना न नहाना धोना। कल्लू कल्लन बोला - मुन्ना भाई, टेंशन नहीं लेने का, जरूर ये होली की तैयारी कर रयेला होएंगा।


नहीं, अइसा नहीं हो सकता। अपुन दरवाजा ठोंक के अंदर घुसा तो देखा सर्किट सुसाइड करने का सामान इकट्ठा करके बैठेला था। उसके हाथ में रस्सी देखके अपुन तो अंदर तक हिल गया। बड़ी मुश्किल से उसकू समझाया तो वो बोला भाई अपुन इस बार भी शरीफ आदमी बनने से रह गया। अक्खा पेपर खराब करके आ गया। बोले तो सवाल इच इत्ता कन्फयूजिंग था - अमेरिका में प्रेजिडेंट के वास्ते खड़ेले कैंडिडेट के बारे में पूछेला था। अपुन ने ओबामा के बदले ओसामा लिख दिया। बोले तो गलती अपुन की नहीं है। वो ओबामा के मां-बाप की है। उसका नाम दो-दो वर्ल्ड फेमस डॉन के नाम पे किसने रखने कू बोला था। उससे पहले अपुन सद्दाम हुसैन लिखने वाला था, क्योंकि बराक ओबामा के बीच में हुसैन भी आता है। बराक हुसैन ओबामा। अपुन जइसे पंटर का भेजा घूमेगा नहीं तो क्या होगा! जइसे इच सद्दाम हुसैन लिखने वाला था कि याद आया उसकू तो एक साल पहले फांसी पे लटका दिया था। फिर अपनी इच बिरादरी के सबसे बड़े भाई ओसामा का नाम याद आया और लिख डाला ओसामा पर निबंध। इत्ता लंबा लंबा फेंक के आया कि चेक करने वाले के लिए लपेटना मुश्किल हो जाएंगा।


इत्ते अंडे मिलेंगे जित्ते बाजू के पोल्टरी फार्म की मुर्गिंया भी नहीं देती होगी। इस भाईगीरी ने अपुन के भेजे में अइसा घुसपैठ किया है कि हर आदमी अपुन कू अपने जइसा इच लगता है। अमेरिका के सबसे बड़े दुश्मन ओसामा कू अमेरिका का सबसे बड़ा आदमी बना दिया अपुन ने। अपुन कू भी अब सद्दाम हुसैन के माफिक रस्सी पे झूल के इच मुक्ति मिलेगी। भाई अपुन कभी बडा़ आदमी नहीं बन सकता।


नमिता जोशी

गुरुवार, 13 मार्च 2008

भग ले इंडिया

अज्जू कडवे का मूड भोत दिन से गोबर में फंसे तलवे के माफिक है। जब से अपुन की टीम का हॉकी के ओलंपिक से भग ले इंडिया हुआ है, तब से कड़वे के थोबड़े की लाइट डिम है।

बोले तो हॉकी का भोत बड़ा फैन है न और जब से किंग खान ने चक दे इंडिया में हॉकी कू सुपरगेम बनाया तब से तो इसने क्रिकेट के बल्ले से कपड़े धोना चालू कर दिएला था। पन अब सीन चेंज हो गयेला है, एकदम एकता कपूर के सीरियल के माफिक। अपुन कू तो उससे इस टॉपिक पर बात करने में डर लग रयेला है।

सर्किट के भेजे की वोल्टेज में हलचल हुई तो उसने कड़वे से पूछ डाला - काइकू अस्सी साल के बूढ़े गेम पे अपने आंसू वेस्ट कर रयेला है! नैशनल गेम का नाश तो अपुन जइसी पब्लिक ने इच मारा है तो फिर रोने का काइकू! वइसे भी तू जिस चक दे इंडिया पिच्चर कू देखके हॉकी का फैन बनेला है ना, उसका हीरो किंग खान ने भी हॉकी पे बनी उस पिच्चर से कमाया अक्खा पइसा क्रिकेट टीम कू खरीदने में फूंक डाला है। देखा नहीं, कइसे हॉकी पे बनी फिलम का टाइटल सॉन्ग अक्खा देश की पब्लिक ने क्रिकेट के नाम कर दिया! जब भी टीम इंडिया मैच जीतती है तो अक्खा दिन टीवी पे यइच गाना तो बजता है।

अपुन कू तो कभी-कभी अइसा लगता है कि वो दिन भी जास्ती दूर नहीं है, जब पब्लिक हॉकी के बदले क्रिकेट कू नैशनल गेम बना डालेंगी और छोटे बच्चों से जब उनके मम्मी पापा मेहमान लोग के आगे नैशनल एंथम गाने कू बोलेंगे तो वो चक दे इंडिया का राग स्टार्ट कर देंगे। सर्किट सिरफिरे की बात सुनके भी कड़वे पे कोई असर नहीं पड़ा।

दोनों की बक-बक सुनके अइसा लग रयेला था कि अपुन ने कोई न्यूज चैनल खोला है और उदर दो आदमी एक्सपर्ट बनके पब्लिक कू येड़ा बना रयेले है। कड़वा फिर बोला - अक्खा मिस्टेक ये क्रिकेट की है। इस सड़ेले गेम कू अक्खा वर्ल्ड के दस देश भी नहीं खेलते। फिर भी सरकार से लेकर हीरो-हीरोइन तलक सब के सब इसमें इच दांव लगा रयेले हैं। हॉकी के प्लेयर किस पेड़ की लकड़ी से गेम खेलने फील्ड में उतरते हैं, ये किसी कू मालूम नहीं होगा। अपुन तो कहता है कि सरकार तो क्या, मीडिया का भी उत्ता इच मिस्टेक है। क्रिकेट के अलावा जब किसी दूसरे गेम में कोई जीतता है तो टीवी पे पांच मिनट का प्रोग्राम नहीं आता और जब हार के आते हैं तो उनकी बरात निकालने में घंटों लगा देते हैं।

और सबसे बड़ा क्रिमिनल तो वो गिल है, जो इत्ते साल तक हॉकी के हेड पे सवार था पन उसके बारे में सोचा तक नहीं। अपुन कू तो यकीन इच नहीं होता कि ये वोइच आदमी जिसने पंजाब में आतंकवादी लोग कू कपड़े में से मैल के माफिक साफ कर दिया। क्या मालूम था कि वो हॉकी कू भी देथ के नक्शे से वइसे इच साफ करके दम लेंगा! सर्किट और कड़वे की बक-बक पे फुल स्टॉप लगाने के वास्ते अपुन ने बोलना चालू कर दिया। ठीक वइसे इच जइसे ब्रेक पे जाने से पहले न्यूज प्रोग्राम का एंकर सबकू चुप कराता है। देखो अब अपुन जइसी पब्लिक के रोने से तो गेम का भला होगा नहीं और क्रिकेट पे सारी गलती डालके कोई अपना पीछा नहीं छुड़ा सकता।

गेम में पब्लिक का इंटरेस्ट पइदा करने के वास्ते भोत कुछ करना पड़ेगा। वइसे भी जरूरी नहीं है कि जो गेम अस्सी साल पहले खेलने में अपुन लोग चैंपियन थे, उसमें आज भी चैंपियन हों। ये भी देखना पड़ेंगा कि अस्सी साल पहले जित्ते देश ये गेम खेलते थे, उनमें से कित्ते देश अभी भी वो गेम खेलते हैं। अक्खा वर्ल्ड बदल रयेला है तो फिर अपुन कब तक ये थकान की दुकान खोलके रखेंगे।

नमिता जोशी

शुक्रवार, 7 मार्च 2008

सर्किट बाप बनने वाला है

नमिता जोशी

क्रिकेट के भूत ने एक बार फिर सर्किट के भेजे में अपनी खोली बना डाली है। एक महीने से एरिये के बच्चे लोग के साथ क्रिकेट की प्रैक्टिस कर रयेला है। वइसे जब से सर्किट की वाइफ बोले तो अपुन की भाभी मां बिजली के प्रेग्नेंट होने की न्यूज सुनी है, तभीच से सर्किट का ये बचपना स्टार्ट हो गयेला है। अरे हां, अपुन तो तुम लोग कू ये बताना इच भूल गयेला था कि सर्किट बाप बनने वाला है।

गेम खेल के जब सर्किट खोली पे लौटता है, तो सीधे मुंगेरी लाल के माफिक ड्रीम सीक्वेंस में पहुंच जाता है। वइसे सर्किट के साथ अक्खा गैंग भी उछल रयेला है। नया मेंबर जो जुड़ने वाला है गैंग में। कल्लू कचरा अपुन के साथ नए मेंबर के बारे प्लानिंग कर रयेला था कि सर्किट के कान में जूं रेंगा। बैडमैन के माफिक दहाड़ के बोला, मुन्ना भाई, येड़ा हो गयेला है क्या! भेजे की माचिस पानी में सील गयेली है क्या, जो अपुन के बच्चे कू गैंग का नया मेंबर बना रयेले हो। अपुन उसकू करोड़पति बनाने का सपना देख रयेला है और तुम उसकी लाइफ की वाट लगाने का प्लान बना रयेले हो।

सर्किट के ये बोल सुनके अपुन कू भोत खुन्नस चढ़ी। बोले तो, इसी गैंग ने सर्किट कू जीना सिखाया और आज अपुन के इसी गैंग कू पब्लिक टॉयलेट समझ के गीला कर रयेला है। काइकू रे! गैंग ने तेरे मकान पे बुलडोजर चलाया है, जो आज इत्ता कोस रयेला है। करोड़पति बनने का इससे ईजी रास्ता कोई और दिख रयेला तेरेकू! वइसे भी तेरी औलाद में इत्ता भेजा तो होगा नहीं कि तू उसकू डॉक्टर बनाएंगा।

अपुन का चैलेंज सुनके सर्किट के भेजे में लाइट जली। बोला - काइकू नहीं बना सकता डॉक्टर। तुम देखना, अगर डॉक्टर बना तो किडनी कुमार से कम पइसा कमा के नहीं देगा। और हां, सबसे पहले अपुन तुम्हारी किडनी निकलवाएंगा। खैर छोड़ो, वइसे भी अपुन ने सोच लिया है कि उसकू क्या बनाने का है। वो तो क्रिकेटर बनेगा। आज की डेट में क्रिकेट के धंधे में इच सबसे बड़ा प्रॉफिट है। बीस साल का होने से पहले-पहले अपुन कू मालामाल कर देगा वो। इधर एक मैच में दो-चार चौके लगाए, उधर इनामों की बौछार। जित्ते जास्ती इनाम, मंडी में उत्ती जास्ती बोली लगेगी। मुन्ना भाई, बॉलिवुड वाले लोग ने भी अब एक्टिंग कू पार्ट टाइम जॉब बनाके क्रिकेटर लोग के पीछू लगना स्टार्ट कियेला है। अक्खा देश के वर्ल्ड बेस्ट हीरो हीरोइन के भेजे में भी अब यइच घुस गयेला है कि क्रिकेट के धंधे में चांदी ही चांदी है। और तुम इच सोचो, ये तो अपुन आज की बात कर रयेला है।

बीस साल बाद जब अपुन का बेटा मैदान में उतरेगा तो सीन क्या होगा। ये बाजू में शाहरुख खान का बेटा उसकू पानी पिला रयेला होगा और दूसरे बाजू में प्रीति जिंटा का बेटा उसके वास्ते टॉवल लेके खड़ेला होगा। विजय माल्या के बच्चे उसके वास्ते ड्रिंक बना रयेले होंगे। और उनके बाजू में किंग के माफिक खड़ा होगा अपुन, बोले तो तुम्हारा सर्किट, अक्खा बाटली गटकने के वास्ते। घबराओ मत, पूरी नहीं तो कम से हाफ बाटली अपुन तुमकू भी दे देगा, आखिर उसके चाचा का इत्ता हक तो बनता इच है ना।

सर्किट इत्ता लंबा-लंबा फेंकते जा रयेला था और अपुन लपेटते लपेटते बेहोश होने वाला था। उससे पूछ डाला - चल अपुन कू माफ कर और ये बता कि वो तेरा लाल है किदर! वो बोला - मुन्ना भाई, अभी उसके पैर धरती पर पड़ने में कुछ दिन का टाइम और है। अपुन ने तो अपना भेजा पकड़ लिया। सोचो जो मिसाइल अभी धरती पर लैंड इच नहीं किया, उसने अपुन कू इत्ता हिला डाला, तो जब वो आएंगा तो क्या जलवा होगा। सर्किट बोला - काउंट डाउन स्टार्ट हो गयेली है। अब जस्ट वेट एंड वॉच।